Hindi Kavita | Hindi Poetry On Life | संस्कारों का गुलाब

संस्कारों का गुलाब ( Sanskaron Ka Gulab )    माता पिता के संस्कारों का गुलाब हूं, हर किसी गालों का गुलाब थोड़ी हूं।     हर   फूलों   का   जो   रस   चखे मैं   ऐसा   भंवरा   थोड़ी  हूं।     हर दिलों से शतरंज का खेल खेलू ऐसा  दिलों  का  दलाल थोड़ी हूं।     स्वार्थ में … Continue reading Hindi Kavita | Hindi Poetry On Life | संस्कारों का गुलाब