सतत विद्रोही | Satat Vidrohi

सतत विद्रोही ( Satat Vidrohi )  सतत् विद्रोही-मैं सतत्,सनातन, निरपेक्ष, निर्विकार, निर्भीक’ विद्रोही’ मैंने गान सदा, सत्य का ही गाया धन- यश, वैभव, सत्ता सुंदरी का आकर्षण मेरे मन को तनिक डिगा नहीं पाया… धन -कुबेरों की अट्टालिकाओं को देख मेरा हृदय कभी नहीं अकुलाया क्रांतिवीरों के यशोगान में ही मैंने जीवन का सब सुख … Continue reading सतत विद्रोही | Satat Vidrohi