सावन कवित्त | Sawan Kavitt

सावन कवित्त ( Sawan Kavitt )    सावन मास लगे अति खास, हुलास हिया जब बरसत पानी l जेठ जरी सगरी वसुधा , सुधा जल पाईके आजु जुड़ानी l   बांस पलाश सबै नव पल्लव , पाई धरा फिर से विहसानी l बदरा गरजे बिजुरी चमके, हियरा हरषे रितु आई सुहानी l   ताल तड़ाग … Continue reading सावन कवित्त | Sawan Kavitt