ये सावन के अंधे हैं | Sawan ke Andhe

ये सावन के अंधे हैं ( Ye sawan ke andhe hai )   सूझ रही है बस हरियाली , ये सावन के अंधे हैं . कोलाहल की आड़ लिए नित , मिला चीखता सन्नाटा . कंगाली ने तरस दिखा कर , दिया जिन्हें गीला आटा . आग बुझा कर गई हताशा , सपने कुछ अधरंधे … Continue reading ये सावन के अंधे हैं | Sawan ke Andhe