आया सावन | Sawan Poem

आया सावन ( Aya Sawan )    आया सावन झूम के,आकुल धरती द्वार ! सुन कर तपते ताप से, उसकी मन मनुहार !! आलिंगन में भर लिया, उसका हर विस्तार सिंचित करने लग गया, शीतल मधुर फुहार !! अग जग में व्यापित हुआ,भीना मधुर सुवास भावावेशित पवन का, उमड़ा नव विस्तार !! सूरज संकोचित हुआ, … Continue reading आया सावन | Sawan Poem