Sawan Poem
Sawan Poem

आया सावन

( Aya Sawan ) 

 

आया सावन झूम के,आकुल धरती द्वार !
सुन कर तपते ताप से, उसकी मन मनुहार !!

आलिंगन में भर लिया, उसका हर विस्तार
सिंचित करने लग गया, शीतल मधुर फुहार !!

अग जग में व्यापित हुआ,भीना मधुर सुवास
भावावेशित पवन का, उमड़ा नव विस्तार !!

सूरज संकोचित हुआ, युगल प्रणय को देख
उसने निज मुख छिपाया,बादल केअंधियार !!

किया तिरोहित प्रकृति ने,उष्ण ताप-संताप
उतरा जग मन मोहने , सावन का संसार !!

बीजों के अंकुरण हित, सावन संव्यवहार
बनता तृण,तरु,विटप का,जीवन का आधार !!

पशु और पादप जगत का, सावन प्रत्याहार
पशुपति शिव संपूजना, करता यह संसार !!

सावन में उतरे अमल, सकल तीज त्यौहार
बागों में झूले पड़े,सखियों की किलकार !!

व्रत-उपवासों संग हुआ, विमल ईश गुणगान
सार्थक सात्विक भाव के,जीवन के उजियार !!

दूर देश के मीत या , आ पहुॅंचे सन्देश
व्याप्त भावना में हुआ , मिश्रित लोकाचार !!

यौवन का उन्माद ज्यों, करें तटों को ध्वस्त
त्यों विस्तारित हो रही, सरिताओं की धार !!

नवांकुरों के सृजन का , जीवन का विश्वास
उतर रहा “आकाश” से, सावन का साकार !!

 

कवि : मनोहर चौबे “आकाश”

19 / A पावन भूमि ,
शक्ति नगर , जबलपुर .

482 001 ( मध्य प्रदेश )

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