कविता शादी | Shaadi par Kavita
कविता – शादी ( Shaadi ) चल रहे है रिश्ते क्यों समझ बात नहीं आती l गृहस्ती रूपी गाड़ी पटरी पर दौड़ी जाती l शादी पवित्र बंधन ये भारत भूमि बतलाती l मित्रता है अस्त्र हमारा दुनिया को सिखलाती l परंपरा संस्कार हमारे दो जीवन मिलवाती l साथी का हाथ न छूटे सात फेरे … Continue reading कविता शादी | Shaadi par Kavita
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