शाम के बाद | Shaam ke Baad

शाम के बाद ( Shaam ke Baad )   हर शाम के बाद फकत अंधेरा ही नहीं होता पूनम का उजाला और प्रभात का भोर भी होता है आप बस सफर तय करते रहिए ठहर जाने पर दूरी तय नहीं होती भटक कर भी राह मिल ही जाती है लोग मिल ही जाते हैं मुकाम … Continue reading शाम के बाद | Shaam ke Baad