Shaam ke Baad
Shaam ke Baad

शाम के बाद

( Shaam ke Baad )

 

हर शाम के बाद
फकत अंधेरा ही नहीं होता
पूनम का उजाला और प्रभात का
भोर भी होता है
आप बस सफर तय करते रहिए

ठहर जाने पर दूरी तय नहीं होती
भटक कर भी राह मिल ही जाती है
लोग मिल ही जाते हैं
मुकाम तक पहुंच ही जाते हैं

आपकी अपनी मानसिकता ही
तय कर देती है हर बाधा
पूर्णता तो तभी मिलती है
जब आप और भरते हैं आधा

आप बिल्कुल खाली नहीं हैं
विश्वास की कमी ने ही रोक रखा है आपको
हर किसी ने पार की है यही दूरी
कैसे मान लिए की कुछ नहीं कर सकते

आप पहचानिए स्वयं को
समझिए खुद को
अकेले आप कभी रहे ही नहीं
साथ की पहचान से अनभिज्ञ रहे हो

उठो और बढ़ो, आप पूर्ण हो सकते हैं
क्योंकि शाम के बाद अंधेरा ही नहीं होता
पूनम का उजाला और भोर का प्रभात भी होता है

 

मोहन तिवारी

( मुंबई )

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