शाम लगभग नौ बजे | Shaam lagbhag nau Baje

शाम लगभग नौ बजे  ( Shaam lagbhag nau baje )    एक दिन निकला सड़क पर शाम लगभग नौ बजे मैं गया कुछ दूर देखा सब्जियां कुछ थे सजे, टिमटिमाते मोमबत्ती की उजाला के तले बेंचती वह सब्जियां तन मांस जिसके थे गले। था अचंभित सोंच में कुछ जान भी मैं न सका बैठ इतनी … Continue reading शाम लगभग नौ बजे | Shaam lagbhag nau Baje