शाम लगभग नौ बजे | Shaam lagbhag nau Baje
शाम लगभग नौ बजे
( Shaam lagbhag nau baje )

( Shaam lagbhag nau baje )
साळी दैव ओळमो कदे जलेबी ल्यायो ना हंस हंस क बतलायो ना वार त्योहारां आयो ना हेतु घणों बरसायो ना मैळो कदे दिखायो ना गाड़ी म घुमायो ना घूमर घालैण आयो ना गीत सुरीला गायों ना साळी बोली हां र जीजा आव ओळमो तन दयू जीजी रा भरतार बता दें क्यां पै…
हिंदी से हिंद का परचम ( Hindi se Hind ka Parcham ) पढ़ूं हिंदी ,लिखूं हिंदी, मेरी पहचान है हिंदी। है माता तुल्य जन जन की, हमारी शान है हिंदी ।। दिए हिंदी नें हमको सूर ,तुलसी कबीर औ मीरा । सुमित्रानंदन भारतेंदु, प्रेमचंद सा दिया हीरा ।। सतत उत्थान हो हिंदी ,सदा सम्मान…
मन्नत ( Mannat ) रूपसी हो तुम्हीं मेरी प्रेयसी हो ग़ज़ल हो मेरी तुम्हीं शायरी हो बहार हो तुम ही तन्हाई भी हो जीवन की मेरे शहनाई भी तुम्ही दो गज ज़मीन हो मेरी तुम ही तुम ही फलक की रोशनी भी कल्पना हो मेरे जज़्बातों की तुम ही नर्म चादर हो खुशियों की…
छत्तीसगढ़िया किसान ( Chhattisgarhia kisan ) छत्तीसगढ़िया बेटा हरव मे छत्तीसगढ़ मोर महतारी, धरती दाई के सेवा करथव किसानी मोर रोजगारी। धन्हा खेत अऊ अरई तुतारी मोर हावय चिन्हारी, नागर बईला अऊ खेत खार मोर हावय संगवारी। माटी ले सोना उपजाथव भईया मे हा खेतिहर किसान, मे गहूं उपजाथव तब सबला मिलते रोटी बर…
कविता की झंकार ( Kavita ki jhankar ) तुकबंदी करते-करते कविता भी करनी आई अल्फाजों ने जादू फेरा मन में उमंग जगाई शब्दों की माला पिरोता महके महफिल सारी गीतों की लड़ियों से गूंजती वो केसर क्यारी भाव भंगिमा सुरताल साज बाज अल्फाज काव्य धारा में बह जाए अंतर्मन छिपे राज …
स्वयं को बदले और ज़माने में आये हो तो जीने की कला को सीखो। अगर दुश्मनों से खतरा है तो अपनो पे भी नजर रखो।। दु:ख के दस्तावेज़ हो या सुख की वसीयत। ध्यान से देखोगें तो नीचे मिलेंगे स्वयं के ही हस्ताक्षर।। बिना प्रयास के मात्र हम नीचे गिर सकते है। ऊपर उठ नहीं…