शहरों की हकीकत | Poem on city in Hindi

शहरों की हकीकत! ***** जेठ की दुपहरी प्रचंड गर्मी थी पड़ रही लगी प्यास थी बड़ी निकला ढ़ूंढ़ने सोता पर यह शहरों में कहां होता? भटका इधर उधर व्याकुल होकर दिखा न कहीं कोई कुंआ , तालाब धुल उड़ रही थी हालत हो रहे थे खराब। भागते लोगों से पूछा कई बार, मिला न उतर, … Continue reading शहरों की हकीकत | Poem on city in Hindi