उधार | Shantilal Soni Poetry

उधार ( Udhaar )    सुबह धूप माँगी दोपहर में छाँव शाम को कंचन सा व्योम रात सितारे चाँद चाँदनी शुद्ध हवा व साँसें कभी हरियाली फूलों की डाली कभी फल मेवा अनाज की बाली पीने को पानी वर्षा इंद्रधनुष चूनर धानी सब कुछ जीवनभर उधार ही तो लिया है फिर बेचा है इन सबको … Continue reading उधार | Shantilal Soni Poetry