नहीं ग़म में कभी शामिल रहा है | Shayari on ghum
नहीं ग़म में कभी शामिल रहा है ( Nahin gam mein kabhi shamil raha hai ) नहीं ग़म में कभी शामिल रहा है ? ख़ुशी का वो मेरी क़ातिल रहा है कभी भी पेश उल्फ़त से न आया हमेशा यूं बड़ा जाहिल रहा है ख़ुशी का हो भला अहसास कैसे ग़मों … Continue reading नहीं ग़म में कभी शामिल रहा है | Shayari on ghum
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