शीशों के घर | Sheeshon ke Ghar Kavita
शीशों के घर ( Sheeshon ke ghar ) शीशों के घर लड़ते हैं । पत्थर हम पर पड़ते हैं ।। कहने के ही पत्थर हैं । शीशों से भी डरते हैं ।। चाकू और सियासत को । हम भेड़ो से लगते हैं ।। कच्चे शीशों की पत्थर । पहरेदारी करते … Continue reading शीशों के घर | Sheeshon ke Ghar Kavita
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