शेखर की कविताएं | Shekhar Hindi Poetry
बदलती फिज़ाए बदल गई है कितनी आज हमारे जीवन की आवोहवा पछुआई फिजां की तूफां में खोया है हमने जीने का गुर हाय-हेलो की कुरीतियों में छूट गया है हमारा आचार देसी व्यंजनों की थाली में फास्ट-फूडस की है भरमार शरमों-हया की पोशाकें अब दिखने लगी है पारदर्शी बदन पे मोबाईल प्रचलन की बेशर्मी … Continue reading शेखर की कविताएं | Shekhar Hindi Poetry
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