श्रमिक | Shramik

श्रमिक ( Shramik )  पाँव में घाव सिर पर बोझ कुछ ऐसी गिरानी लिख। पसीने में डुबोकर लेखनी मेरी कहानी लिख।। उदर में मुझको रख के माँ ईंट गारे उठाती थी, जरा सी देर होने में मालकिन कहर ढाती थी, लगी जो चोट गिरने से अभी तक है निशानी लिख। पसीने ० ग़रीबी ने कहर … Continue reading श्रमिक | Shramik