Hindi Poetry On Life | Hindi Ghazal -श्रृंगार

श्रृंगार (Shringaar ) मधुर स्वर कोकिलार कूकन कामिनी जस रति बदन सी। जड़ित मुक्ता मणित अगणित स्वर्ण कंगन खनखनन सी।।      कमलदल बल विकल लखि अधरन की आभा,    दृगन खंजन चुभन चितवन मलयज सुलाभा, करत जात निनाद सरिता अनवरत कलकल वचन सी।। जड़ित ०।।      कर्ण कुण्डल में भूमण्डल नथनी में ब्रह्मांड … Continue reading Hindi Poetry On Life | Hindi Ghazal -श्रृंगार