सिंदूर वक्त की चकाचौंधी इतनी भी मंजूर न कर। तेरा सिंदूर हूं तूं सर मुझे दूर न कर।। दीखता चुटकियों में हूं मगर विशाल हूं मै, हर एक रंग समेटे हुये पर लाल हूं मै।, तेरा श्रृंगार हूं तूं कांच जैसे चूर न कर।।तेरा सिंदूर ० नीले गगन मे सूर्य की चमक … Continue reading सिंदूर
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