सोच चुप है ( Soch chup hai ) सोच चुप है , मौन है क्यों ख़ामोश है सोच पर लगान नहीं, कोई लगाम नहीं, तो सोच को ज़बान दो कुछ अल्फ़ाज़ दो सोच की परवाज़ को इक नया मुकाम दो सोच है सोचेगी खुद में उलझेगी तुझको उलझायेगी … Continue reading सोच चुप है | Soch shayari
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