Soch shayari
Soch shayari

सोच चुप है

( Soch chup hai )

 

 

सोच चुप है ,

मौन है क्यों

ख़ामोश है

 

सोच पर लगान नहीं,

कोई लगाम नहीं, तो

 

सोच को ज़बान दो

कुछ अल्फ़ाज़ दो

 

सोच की परवाज़ को

इक नया मुकाम दो

 

सोच है सोचेगी

खुद में उलझेगी

तुझको उलझायेगी

 

इसके ताने -बाने को  , कोई

तहरीर दो‌

इक ताबीर दो

 

सोच आतिश है

शरारा है

सुलगेगी , सुलगायेगी

 

न बर्फ हो तू ,

न मोम हो तू

आतिश-फ़िशां हो

 

सोच को सोच कर देख

क्या क्या न कर जायेगी…

 

 

?

Suneet Sood Grover

लेखिका :- Suneet Sood Grover

अमृतसर ( पंजाब )

यह भी पढ़ें :-

करवा का चाँद | Chand Shayari

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here