Ghazal | सूखी दरख्तो के साये

सूखी दरख्तो के साये ( Sookhi Darakhton Ke Saaye )     ये जो हम में तुम में कुछ प्यार बाकी है कहीं  दो दिलो  को बहलाने का बहाना तो नहीं फांसलो की अपनी भी जुबानें हुआ करती हैं तेरे मेरे करीब आने का इशारा तो नहीं   दिल जब भी धड़के, अफसाने बने ,सुना … Continue reading Ghazal | सूखी दरख्तो के साये