श्रीमती बसन्ती “दीपशिखा” की कविताएं | Srimati Basanti Deepshikha Poetry
बारिश की वो भीगी यादें भीगी सड़कों पे जब पाँव पड़े,यादों की भीड़ अचानक घिर आए।हर बूँद में कोई किस्सा जगा,कुछ हँसाए, कुछ चुपचाप रुलाए। बिन कहे सब कह जाती है ये बारिश,जैसे मन के राज़ पढ़ लेती है।पिता की छाँव, माँ का सहारा,हर बूँद में अपना-सा एहसास देती है। कभी बचपन की किलकारियाँ लोरी … Continue reading श्रीमती बसन्ती “दीपशिखा” की कविताएं | Srimati Basanti Deepshikha Poetry
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