सुना है ( Suna Hai ) कभी कभी खंडहर भी बोल उठते हैं वीराने भी खुद ब खुद सज जाते हैं झींगुरों की ताल पर बेताल भी नाच उठतें हैं सहरा में भी आब’शार मिल जाते हैं कभी तो मुर्दा जिस्मों में बसती रूह भी कराह उठेगी सोई ज़मीर … Continue reading Ghazal Suna Hai | सुना है
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