सूर्य अस्त होने लगा | कुण्डलिया छंद | Kundaliya chhand ka udaharan

सूर्य अस्त होने लगा ( Surya ast hone laga )   सूर्य अस्त होने लगा, मन मे जगे श्रृंगार। अब तो सजनी आन मिल, प्रेम करे उदगार।। प्रेम करे उदगार, रात को नींद न आए। शेर हृदय की प्यास, छलक कर बाहर आए।। आ मिल ले इक बार, रात्रि जब पहुचे अर्ध्य। यौवन ऐसे खिले, … Continue reading सूर्य अस्त होने लगा | कुण्डलिया छंद | Kundaliya chhand ka udaharan