स्वर्ग-नर्क | Poem in Hindi on Swarg narak

स्वर्ग- नर्क ( Swarg – Narak )   स्वर्ग है या नर्क है कुछ और है ये। तूं बाहर मत देख तेरे ठौर है ये।। तेरे मन की हो गयी तो स्वर्ग है। मन से भी ऊपर गया अपवर्ग है। आत्मतत्व संघत्व का सिरमौर है ये।। तूं बाहर० मन की अभिलाषा बची तो नर्क है। … Continue reading स्वर्ग-नर्क | Poem in Hindi on Swarg narak