स्वर्ग ( Swarg ) स्वर्ग कहीं ना और, बसा खुद के अंतर में खोज रहे दिन- रात जिसे हम उस अम्बर में सुख ही है वह स्वर्ग जिसे हम ढूंढे ऊपर बसा हमारे सुंदर तन – मन के ही अंदर काट छांट कर मूर्तिकार जैसे पत्थर को दे देता है रूप अलग … Continue reading स्वर्ग | Swarg par Kavita
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