स्वर्ग | Swarg par Kavita

स्वर्ग  ( Swarg )    स्वर्ग   कहीं   ना   और,  बसा  खुद  के  अंतर में खोज   रहे  दिन- रात  जिसे  हम  उस  अम्बर में   सुख   ही   है   वह   स्वर्ग  जिसे  हम  ढूंढे  ऊपर बसा    हमारे    सुंदर   तन – मन   के   ही  अंदर   काट    छांट    कर    मूर्तिकार   जैसे   पत्थर को दे    देता    है   रूप   अलग   … Continue reading स्वर्ग | Swarg par Kavita