तन के उजले मन के काले | Tan ke Ujle Man ke Kale

तन के उजले मन के काले ( Tan ke ujle man ke kale )   दुष्चक्रो के जाल फैलाए छल कपट दांव चलाए। भ्रष्टाचारी खुद हो जाए लूट खसोट वो अपनाए। घट में कितने नाग पालते स्वार्थ में रहते मतवाले। कैसे हैं मतलब वाले तन के उजले मन के काले। तन के उजले मन के … Continue reading तन के उजले मन के काले | Tan ke Ujle Man ke Kale