आज़म की शायरी | Aazam ki shayari

कब मुझे कब मुझे ही करार मिलता है ग़म यहाँ बेशुमार मिलता है कर लिये फोन भी बहुत उसको कब मुझे आकर यार मिलता है सिर्फ़ अब तो भरी हसद दिल में कब दिलों में ही प्यार मिलता है कब किसे ही सनम मयस्सर हो इश्क में इंतिज़ार मिलता है इश्क़ से ही अमीर होते … Continue reading आज़म की शायरी | Aazam ki shayari