तपन | Tapan

तपन ( Tapan )    तपन है जैसे तपती रेत मे नंगे पांव की मिली न बसर जिंदगी मे किसी छांव की चलता ही रहा ,फजर से शामेरात तक मिली न सराय कोई ,शहर से गांव तक बच्चों ने कहा ,भविष्य है उनके बच्चों का बेटियों ने कह दिया ,पापा हमे भूल गए अपनों की … Continue reading तपन | Tapan