ठगे गए जज्बात | Thage Gaye Jazbaat
ठगे गए जज्बात ( Thage Gaye Jazbaat ) हो असली इंसान की, कैसे अब पहचान। दोनों नकली हो गए, आंसू और मुस्कान।। कैसा ये बदलाव है, समय है उलझनदार। फसलों से ज्यादा उगे, सौरभ खरपतवार।। सुनता दिल की कौन है, दें खुद पर अब ध्यान। सब दूजों पर जज बनें, सुना रहें फरमान।। कुछ जीते … Continue reading ठगे गए जज्बात | Thage Gaye Jazbaat
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