टूटे हुए सपने | Toote hue Sapne
टूटे हुए सपने ( Toote hue sapne ) तोड़ता भी रहा जोड़ता भी रहा टूटे सपनों को मैं रात भर खुली आंख जब सहर हुई टुकड़े ही टुकड़े थे बचे सामने उम्र भीं काबिल न थी जोड़ पाने में बहत्तर छेदों की गुदड़ी थी मिली सिल सिल कर भी सिलते रहे जर्जर दीवारें भी … Continue reading टूटे हुए सपने | Toote hue Sapne
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