तुम्हारी बात का | Tumhari Baat Ka
तुम्हारी बात का ( Tumhari Baat Ka ) तुम्हारी बात का जिस पर नशा है ।उठाने को तेरा घूंघट खड़ा है ।।१ नज़र भर देख भी ले जो तुम्हें अब ।कहाँ फिर होश में रहता खड़ा है ।।२ तुम्हें जो छू रही है बे-इजाजत ।वही मगरूर अब देखो हवा है ।।३ किसी के जो बुलाने … Continue reading तुम्हारी बात का | Tumhari Baat Ka
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