तुम्हें जिस घड़ी | Tumhen Jis Ghadi

तुम्हें जिस घड़ी ( Tumhen Jis Ghadi ) तुम्हें जिस घड़ी चश्मे नम देखते हैं। दिल ए मुज़तरिब में अलम देखते हैं। निगाहों से दिल की जो देखो तो जानो। तुम्हें किस मुह़ब्बत से हम देखते हैं नज़रबाज़ हम को समझ ले न दुनिया। ह़सीनों को हम यूं भी कम देखते हैं। अ़दू को भी … Continue reading तुम्हें जिस घड़ी | Tumhen Jis Ghadi