कहां अब पहले से त्यौहार | Tyohar kavita

कहां अब पहले से त्यौहार ( Kahan ab pehle se tyohar )     कहां अब पहले से त्यौहार रहा ना अपनापन प्यार बड़ों का होता सम्मान लुप्त हो रहे सभी संस्कार   सद्भावों की बहती गंगा घट घट उमड़ता प्यार बहन बेटी बुजुर्गों का होता तब आदर सत्कार   अतिथि को देव मानते पत्थर … Continue reading कहां अब पहले से त्यौहार | Tyohar kavita