जिंदगी को महकाना | Tyohar Par Kavita

जिंदगी को महकाना ( Zindagi ko mehkana )   त्योहारों के दिन आते ही गरीब की मुश्किलें बढ़ती जाती है अच्छे कपड़े,अच्छे भोजन नाना प्रकार के सामग्रियों की जरूरत गरीब की कमर तोड़ देती है अभावग्रस्त जीवन चूल्हे की बुझी राख भूख और बेचारगी से बिलखते बच्चे हताशा और निराशा के अंधेरे में तड़फता बिलबिलाता … Continue reading जिंदगी को महकाना | Tyohar Par Kavita