उफ़! ( Uff ) किसी पुराने टूटे ख्वाब की कोई किरचन उफ़! कितनी कभी चुभती है रड़कती है चैन से आँख बंद कर सोने भी नहीं देती . . . न अश्क बन बहती है लेखिका :- Suneet Sood Grover अमृतसर ( पंजाब ) यह भी पढ़ें :- कोहरा | Hindi Poem kohara
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