उफ़!
( Uff )
किसी पुराने टूटे
ख्वाब की कोई
किरचन
उफ़!
कितनी कभी
चुभती है
रड़कती है
चैन से
आँख बंद कर
सोने भी
नहीं देती
.
.
.
न अश्क
बन बहती है
लेखिका :- Suneet Sood Grover
अमृतसर ( पंजाब )
( Uff )
किसी पुराने टूटे
ख्वाब की कोई
किरचन
उफ़!
कितनी कभी
चुभती है
रड़कती है
चैन से
आँख बंद कर
सोने भी
नहीं देती
.
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न अश्क
बन बहती है
लेखिका :- Suneet Sood Grover
अमृतसर ( पंजाब )