Hindi Poetry On Life | Hindi Poem -उलझन

उलझन ( Uljhan )   मचा  हुआ  है  द्वंद  हृदय में, कैसे इसको समझाए। यायावर सा भटक रहा मन, मंजिल तक कैसे जाए।   उलझी  है जीवन  हाथों की,टेढी मेढी  रेखाओ में। एक सुलझ न पायी अब तक,दूजी कैसे सुलझाए।   वो मुझको चाहत से देखे,  पर मन मेरे और कोई। मेरे मन मे रमा … Continue reading Hindi Poetry On Life | Hindi Poem -उलझन