उसके इज़हार पे | Uske Izahaar Pe
उसके इज़हार पे ( Uske Izahaar Pe ) उसके इज़हार पे दो घड़ी चुप रही मुझ पे लाज़िम था मैं लाज़िमी चुप रही लब पे पहरा लगा था तमद्दुन का जो ख़ामुशी ही रही सरकशी चुप रही ज़ुल्म करता रहा ये जहाँ हम पे और हर बशर चुप रहा आश्ती चुप रही साँस थमसी गई … Continue reading उसके इज़हार पे | Uske Izahaar Pe
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