वर्षा ऋतु ( Varsha ritu ) रिमझिम फुहारों से दिल फिर खिलेंगे, मेघों के काँधे नभ हम उड़ेंगे। बात करेंगे उड़ती तितलियों से, भौंरों के होंठों से नगमें चुनेंगे। चिलचिलाती धूप से कितना जले थे, मिलकर बरखा से शिकायत करेंगे। पाकर उसे खेत -खलिहान सजते, आखिर उदर भी तो उससे भरेंगे। धरती का सारा … Continue reading वर्षा ऋतु | Varsha Ritu
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