वर्तमान समझ | Vartman Samaj

वर्तमान समझ ( Vartman Samaj )   शिक्षा का विकास हुआ,समझ अधूरी रह गई पूरे की चाहत मे ,जिंदगी अधूरी रह गई बन गए हों कई भले ही महल अटारी चौबारे मुराद भीतर ही मन की,दम तोड़ती रह गई बिक गए पद,सम्मान औ प्रसंशा के मोल मे माता स्वाभिमान की,छाती पिटती रह गई सोच बदली … Continue reading वर्तमान समझ | Vartman Samaj