यह विचारणीय विषय है | Vicharniy vishay kavita
यह विचारणीय विषय है ( Yah vicharniy vishay hai ) आज-कल के दौर में कोई घर-घर नहीं लगतें है, मक़ान तों है बड़े-बड़े पर इन्सान नहीं दिखते है। होतें पहले कच्चे-मकान पर रिश्ते पक्के होते थें, अपनें आपको आज सभी होशियार समझते है।। पहले का ज़माना और था आज ज़माना और है, … Continue reading यह विचारणीय विषय है | Vicharniy vishay kavita
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