विश्वास ( Vishwas ) माना ,मैं कुछ नही नंदी भर हूं उनके सागर की तब भी गर्व है मुझे की उनकी इकाई तो हूं ! विश्वास है मुझे कर्म ही मंजिल है मेरी पहुचूं न पहुंचूं मुकाम तक परिणाम तो है वक्त के गर्भ मे तब भी ,गर्व है मुझे की मेरा वजूद तो … Continue reading विश्वास | Vishwas
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