व्यंग्य – चले नेताजी ( Vyang – Chale Netaji ) चले हैं नेताजी समाज सेवा करने हरने जनता–जनार्दन की पीड़ा, पाँव उखड़ उस गरीब का जाये जहाँ खड़ा हो जाए इनका जखीड़ा। रखवारों की कुछ टोली है संग में कुछ चाटुकारों की है फौज, सेवा के नाम पर फोटो खिंचवावत मनावत हर जगह … Continue reading Netaji par Vyang | चले नेताजी
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