वालिदैन | Walidain par kavita

वालिदैन ( Walidain )  फूल खिलाई जिस डाली ने, कभी न तोड़ो वो डाली। क्या कसूर है मुझे बताओ, क्यों हुआ बेघर माली? जो हाथ झुलाया तुमको झूला, झूला तूने तोड़ दिया। जो तेरे खातिर सागर में डूबा, वो मोती तू छोड़ दिया। जिस नशे में चल रहा है तू, ये दौर नहीं टिकनेवाला। जो … Continue reading वालिदैन | Walidain par kavita