वतन की खुशबू | Watan ki khushboo

वतन की खुशबू! ( Watan ki khushboo )   मेरी हर साँस में रहती है वतन की खुशबू, मुझे कितनी अजीज है इस चमन की खुशबू। उतर के आ जाओ ऐ! आसमां में रहनेवालों, रखी है बाँध के वो गंग-ओ-जमन की खुशबू।   यहाँ फजाओं में गूँजती हैं ऋषियों की सदाएँ, वही ऋचाएँ बढ़ाती हैं … Continue reading वतन की खुशबू | Watan ki khushboo