वतन ( Watan ) इश्क,आशिकी,महोब्बत , जुनूं , तुझसा ही वतन, वतन सा ही है तू…. कहाँ वो अमन, कहाँ मिले सुकूं न सरहदों के इधर , न सरहदों से दूर…. आज़ाद हुये मगर गुलाम अभी तलक बात मज़हबों की , इंसानियत से दूर…. खून तो खौलता है, बहता भी है … Continue reading वतन | Watan shayari
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