यही वर दो मां | Yahi Var do Maa
यही वर दो मां नव रूपों मे सज धज कर आज आई हो मां मेरी बस इतनी सी विनती भी सुन लेना मां नही चाहिए धन दौलत या सारा सम्मान मुझे सब जन के मन मे केवल मानवता भर देना मानव ही मानव का कर रहा संहार क्यों इतना भी बैर हृदय मे कैसे … Continue reading यही वर दो मां | Yahi Var do Maa
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